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 Computer Proficiency Certification Test

Question Paper Name: Computer Proficiency Certification Test 

Question Paper Name: Inscript 28th Feb Shift 1

Subject Name:

Creation Date: 2016-02-28 11:21:16

Duration: 25

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बहुत समय पहले की बात है हिमालय के जंगल में एक बहुत ताकतवर शेर था एक दिन उसने बारासिंगा का शिकार किया और उसे खाने के बाद अपनी गुफा की और लौटने लगा अभी उसने चलना सुरु ही किया था की एक सियार उसके सामने दंडवत करता हुआ उसके गुणगान करने लगा। 

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Question Number : 2 Question Id : 55813922 Question Type : TYPING TEST Display Question Number : Yes

गाँधी जी की शांती की परिभाषा संघर्ष के बगैर नहीं थी। दरसल उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में गोरो के शासन के विरुद्ध संघर्ष में बुद्धिमानी से उनका नेतृत्व किया था।  इसके बाद 1915 में भारत आने पर गांधीजी ने समाज सुधारक के साथ , अस्प्रशता और अन्य सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध दीर्घदर्शक के रूप में अहिंशा का इस्तेमाल किया। बाद में उन्होंने राजनितिक परिदृश्य तक इसका विस्तार किया और दीर्घकाल में अपने प्रेम , शांति और आपसी समायोजन के सन्देश को हिन्दू मुस्लिम भाई चारे के लिए इस्तेमाल किया उनका मशहूर भक्ति गीत रामधुन - " ईश्वर अल्लाह तेरे नाम " अब ही हिन्दू मुस्लिम  शांति के लिए राष्ट्र का श्रेष्ठ गीत है।  यह हमें इस बहस में ले जाता है की गांधी जी के लिए शांति का क्या मतलब था जी हा कोई कह सकता है की व्यापक तौर पर उनके लिए शांति का अपने आप में कोई अंत नहीं था। इसके बजाय यह सिर्फ मानवता को बेहतर कल्याण सुनिश्चित करने के लिए एक माध्यम थी।   वस्तुतः महात्मा गांधी सत्य के अग्रदूत थे।  दरसल उन्होंने खुद भी कहा था की शांति की तुलना में सच्चाई ज्यादा महत्वपूर्ण है।  इस सन्दर्भ में यंग इंडिया अख़बार में महात्मा गांधी के निम्नलिखित शब्द उदहारण के लिए प्रस्तुत किये जो बिलकुल प्रासंगिक है महात्मा गांधी ने लिखा है - हालाँकि हम भगवन की शान में जोर जोर से गाते है और पृथ्वी पर शांत रहने के लिए कहते है।  लेकिन आज न तो  भगवान के प्रति शान और नाही धरती पर शांति दिखाई देती है।  दिसम्बर 1931 में लिखे थे।  17 वर्ष बाद जनवरी 1948 में एक क्रूर हथियार की गोली से उनका स्वर्गवास हो गया।  यह बहुत ही दर्दनाक था कि सार्वभौमिकता और शांति और अहिंसा का संत हिंसा और घृणा का शिकार बना लेकिन 2010 के आज के दौर में भी महात्मा गांधी के सन 1931 के शब्द सत्य है आज दुनिया बहुत से और हर प्रकार के विवादों का सामना कर रही है , इसीलिए हम देखते है की सार्वभौमिक और भाईचारे और शांति और सहअस्तित्व के बारे में गांधी जी का बल आज भी पूरी तरह प्रासंगिक है 





















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