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ISO ने कंप्यूटर सिस्टम के ओपन इंटरकनेक्शन (OPEN INTERCONNECTION ) को सुगम बनाने लिए ओपन सिस्टम इंटरकनेक्शन अर्थात OSI रेफ़्रेन्स मॉडल को विकसित किया। विदित हो की OPEN INTERCONNECTION वह होता है , जो MULTI VENDOR ENVIRONMENT अर्थात एक से अधिक कम्पनियो द्वारा निर्मित कंप्यूटर हार्डवेयर के सहसयोजन का समर्थन करता है , OSI मॉडल ने कंप्यूटर के बिच ओपन इंटरकनेक्शन के लिए आवश्यक फक्शन लेयर्स को परिभाषीत करने के लिए विश्वव्यापी मानदंड स्थापित किया।
OSI मॉडल एक CONCEPTUAL MODEL है , जिसे MULTIVENDER INSEPARABILITY को प्रोत्साहित करने के लिए ISO द्वारा विकसित किया गया है।
physical layer :-
osi reference model का सबसे निचे वाले लेयर को फिजिकल लेयर कहा जाता है। फिजिकल लेयर बिट स्ट्रीम (bit stream ) 0 और 1 ट्रांसमिशन के लिए उत्तरदायी होती है। फिजिकल लेयर ,
लेयर 2 अर्थात डटा लिंक लेयर से डाटा फ्रेमों को एक्सेप्ट करता है। और उनके स्ट्रक्चर (structure ) तथा content को एक एक bit (0 या 1 ) के रूप में transmit करता है। फिजिकल लेयर आने वाले data streams को एक एक bit receive करने के लिए भी उत्तरदायी होता है। इसके पश्चात यह इन data streams को re framing के लिए डाटा लिंक लेयर को पास कर दिया जाता है।
यह लेयर electrical और या signalling Technic के फिसिकल characteristics से सम्बन्ध है। इन फिजिकल characteristic के अंतर्गत सिग्नल को भेजने के लिए प्रयुक्त electrical current transmission मीडिया टाइप और अवरोधक कनेक्टर के फिजिकल साइज आते है। coaxial केबल, फाइबर ऑप्टिकल केबल , ट्विस्टेड पेअर केबल मीडिया के कुछ उदहारण है।
data link layer :-
osi रेफ़्रेन्स मॉडल के दूसरे लेयर को डाटा लिंक लेयर कहते है। osi रेफरेंस मॉडल के सभी लेयरों की तरह data link layer के भी दो उत्तरदायित्व है : डाटा को ट्रांसमिट करना और डाटा को रिसीव करना।
data transmit करने वाले साइट पर डाटा लिंक लेयर instructions , data इत्यादि को फ्रेमों में पैक करने अर्थात बनाने के लिए उत्तरदायी होता है। विदित हो की एक फ्रेम डाटा लिंक लेयर के लिए स्थानीय स्ट्रक्चर होता है , जो एक लोकल एरिया नेटवर्क में डाटा को उसके डेस्टिनेशन पर सफलता पूर्वक भेजने के लिए पर्याप्त इनफार्मेशन को धारण करता है। किसी फ्रेम की सफलता डिलेवरी उसके वांछित destination पर बिना किसी टूट फुट के पहुंचने की सुनिश्चितता करता है। अतः प्रत्येक फ्रेम को उसके डिलीवरी (delivery) पश्चात् उसके contents के integrity की जांच करने के लिए एक mechanism का प्रयोग करना चाहिए।
किसी फ्रेम की डिलीवरी की सुनिश्चितता के लिए दो बातो का घटित होना आवश्यक होता है।
*data फ्रेम भेजने वाले नोड अर्थात originating node को destination नोड द्वारा प्रत्येक फ्रेम को सही सही receive करने के पश्चात् acknowledge करना चाहिए।
* किसी डाटा फ्रेम को receive करने के पश्चात उस फ्रेम के लिए originating node अर्थात सेन्डर को acknowledgement भेजने से पूर्व रिसीविंग नोड को रिसीव किये गए फ्रेम के कंटेंट्स की इंट्रीग्रिटी ( integrity) की जांच करनी चाहिए।
कुछ परिस्थितयो में सेन्डर द्वारा transmit किये गए frams network में destination पर पहुंचने से पूर्व ही या तो रास्ते में ही नस्ट हो जाते है। या फिर डेस्टिनेशन पर पहुच ही नहीं पते है। नेटवर्क में इस प्रकार की त्रुटिया का पता लगाने और उन्हें ठीक करने की जिम्मेदारी data link layer की होती है।
data link layer उन binary streams को फ्रेमों में भी वापस reassemble करने के लिए उत्तरदायी होता है। जिन्हे फिजिकल लेयर से रिसीव किया जाता है। विदित हो की लेयर-1 और लेयर-2 प्रत्येक प्रकार के communication के लिए आवश्यक होते है। चाहे , lan हो या wan .
network layer :-
किसी नेटवर्क में सेन्डर और रिसीवर कंप्यूटर अर्थात originating और destination कंप्यूटर के बिच communication के लिए रूट (route ) को स्थापित करता है। नेटवर्क लेयर में ट्रांसमिशन से संबंधित error का पता लगाने और उन्हें ठीक करने के mechanism नहीं होते है। अतः इसे network में एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर के बिच विश्वसनीय ट्रांसमिशन अर्थात and to and विश्वशनीय ट्रांसमिशन सर्विस के लिए डाटा लिंक लेयर पर भरोसा करना पड़ता है।
वास्तव में नेटवर्क लेयर का प्रयोग किसी नेटवर्क में उन कंप्यूटर के बिच क्म्मुनिकेशन को स्थापित करने के लिए किया जाता है जो स्थानिय lan (local lan ) की परिधि से परे होते है। नेटवर्क लेयर का अपना routing addressing architecture होता है , जो layer-2 data link layer के machine addressing से पृथक १ एवम भिन्न होता है।
routing protocol के अंतर्गत निम्नलिखित प्रोटोकॉल आते है।
* ip इंटरनेट protocol
*ipx (internet packet exchange )
*appletalk
विदित हो की नेटवर्क लेयर का प्रयोग optional होता है network लेयर की आवश्यकता तभी होती है , जब वैसे कंप्यूटर के बिच communication करने की आवश्यकता होती है जो भिन्न नेटवर्क में होते है और वे एक राऊटर द्वारा जोड़े गए होते है।
transport layer :-
इसका प्रमुख कार्य session layer डाटा को accept कर आवश्यकतानुसार छोटे छोटे units में विभाजित क्र नेटवर्क लेयर को पास करना होता है। एवं साथ ही यह भी सुनिश्चित करना पड़ता है , की सभी data units सही सही अपने destination पर पहुंचे या नहीं। ट्रांसपोर्ट लेयर , routers द्वारा discard किये गए डाटा पैकेट्स का पता लगाकर उन्हें पुनः ट्रांसमिट करने के लिए स्वतः transmit request generate करता है।
चुकी सेन्डर कंप्यूटर द्वारा ट्रांसमिट किये गए पैकेट्स के क्रम उलटे सीधे हो सकते है। ऐसी परिस्थिति में ट्रांसपोर्ट लेयर destination computer अर्थात receiving कंप्यूटर पर पैकेट्स की re-sequencing है। ऐसा तभी हो सकता है की packets transmitting की अवस्था में ही विनिष्ठ हो जाये। transport लेयर packets के contents को session लेयर को पास करने के पूर्व पैकेट्स को उनके original sequence में व्यवस्थित करता है।
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